दुनिया में तमन्ना-खेज़ यूँ चेहरे तमाम हैं;
हो जाएँ फ़ना जिसपे, वो बस एक नाम है.
दीवानों को है कब भला मंज़िल की आरज़ू;
हासिल है इक नशा जो साथ सुबह-ओ-शाम है.
मिटकर भी हमें ज़िंदगी का एहतराम है;
अगयार में भी गाते प्यार का कलाम हैं.
एक हादसा ही कहूँगा मैं हाल को अपने;
वरना एक मासूम पे आता इलज़ाम है.
हर मोड़ पे हम तनहा हुए औ हुए रुसवा;
बशारत-ओ-सदाक़त का यही तो ईनाम है.
जिसने दिया तेरा साथ हर घडी हर मोड़ पर
ReplyDeleteबेवफा के नाम से आज वही तो बदनाम है
दुनियावाले देते है गाली और नफरत मुझे
ये दे भी क्या सकते है इनका तो यही काम है
क्या खूब लिखते हो बाला जी |
वाह वाह, अच्छा जवाब है भाई!
ReplyDelete"और है कौन यहाँ जिससे बात छेड़ें तेरी;
हर कोई है रक़ीब यहाँ, हर तेरा गुलाम है.."