A Bal Krishnan Blog

उखड़े उखड़े से कुछ अल्फाज़ यहाँ फैले हैं; मैं कहूँ कि ज़िन्दगी है, तुम कहो झमेले हैं.

Sunday, April 17, 2011

ek naam

दुनिया में तमन्ना-खेज़ यूँ चेहरे तमाम हैं;
हो जाएँ फ़ना जिसपे, वो बस एक नाम है.

दीवानों को है कब भला मंज़िल की आरज़ू;
हासिल है इक नशा जो साथ सुबह-ओ-शाम है.

मिटकर भी हमें ज़िंदगी का एहतराम है;
अगयार में भी गाते प्यार का कलाम हैं.

एक हादसा ही कहूँगा मैं हाल को अपने;
वरना एक मासूम पे आता इलज़ाम है. 

हर मोड़ पे हम तनहा हुए औ हुए रुसवा;
बशारत-ओ-सदाक़त का यही तो ईनाम है.

2 comments:

  1. जिसने दिया तेरा साथ हर घडी हर मोड़ पर
    बेवफा के नाम से आज वही तो बदनाम है

    दुनियावाले देते है गाली और नफरत मुझे
    ये दे भी क्या सकते है इनका तो यही काम है

    क्या खूब लिखते हो बाला जी |

    ReplyDelete
  2. वाह वाह, अच्छा जवाब है भाई!
    "और है कौन यहाँ जिससे बात छेड़ें तेरी;
    हर कोई है रक़ीब यहाँ, हर तेरा गुलाम है.."

    ReplyDelete