A Bal Krishnan Blog

उखड़े उखड़े से कुछ अल्फाज़ यहाँ फैले हैं; मैं कहूँ कि ज़िन्दगी है, तुम कहो झमेले हैं.

Wednesday, February 23, 2011

Pyas

देखो मुझे, बातें न करो आस पास की;
छा जाओ तुम, लगती है ये बरखा उदास सी.

यादों में तुम्हारी मुझे मिलता है आसमान;
सपनों में दे जाती हो तुम किरणें प्रकाश की;

कितनी कठिन डगर है ये पूछो न मुझसे तुम;
योगी मिसाल देते हैं हमारी प्यास की.

कुछ ऐसा लगा आके इस अनजान नगर में;
हर डगर को है खोज तुम्हारे निवास की.

कितना भी पढ़ूँ, हमेशा मिलता है नयापन;
चेहरा है या कविता वो कोई कालिदास की.

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