इसकी खुशबू तो अब तुम्हारी है;
बनिस्बत है उन हवाओं से जो हमारे दरमियान से होकर गुज़र जाती थीं.
आज ये भी उन्ही के मानिंद दिल को जलाती है.
इसके धुएँ में छुप जाती है ज़िन्दगी और तब तुम और सिर्फ तुम नज़र आती हो.
ये अलग बात है कि कभी तुम और ज़िंदगी दोनों हमशक्ल थे.
और इसकी आग:
आज भी जेठ की दुपहरी में सुकून देने के लिए बहुत ही माकूल है.
मानता हूँ, यह प्यार नहीं है:
वो तो तुमने जलाया था....
और वो आग मेरे सीने तक पहुची थी.
सुलग रही है, सदियों पुराने अंगारे की तरह.
तुमने तो महसूस की सिर्फ इसकी बदबू,
जो तुम्हारे तलक पहुचती थी कभी मेरे तो कभी औरों के मुँह से.
हाँ, ये प्यार नहीं है!
ये तो एक कमज़ोर श सियत की निशानी है.
मगर इंसानी ख़ुलूस का वक़ार कायम रखने के लिए,
ज़िंदगी में कभी-कभी बेबुनियाद, बेज़मीन ज़ज़्बात को परवाज़ देना पड़ता है.
और वहाँ झूठे आईनों से बचने के लिए धुंधलकों की ज़रुरत पड़ती है.
ऐसे भी, मोहब्बत और सिगरेट दोनों आखिर कुचल ही दिए जाते हैं:
एक पिलाने वाले से; तो दूसरा खुद पीने वाले से.
बनिस्बत है उन हवाओं से जो हमारे दरमियान से होकर गुज़र जाती थीं.
आज ये भी उन्ही के मानिंद दिल को जलाती है.
इसके धुएँ में छुप जाती है ज़िन्दगी और तब तुम और सिर्फ तुम नज़र आती हो.
ये अलग बात है कि कभी तुम और ज़िंदगी दोनों हमशक्ल थे.
और इसकी आग:
आज भी जेठ की दुपहरी में सुकून देने के लिए बहुत ही माकूल है.
मानता हूँ, यह प्यार नहीं है:
वो तो तुमने जलाया था....
और वो आग मेरे सीने तक पहुची थी.
सुलग रही है, सदियों पुराने अंगारे की तरह.
तुमने तो महसूस की सिर्फ इसकी बदबू,
जो तुम्हारे तलक पहुचती थी कभी मेरे तो कभी औरों के मुँह से.
हाँ, ये प्यार नहीं है!
ये तो एक कमज़ोर श सियत की निशानी है.
मगर इंसानी ख़ुलूस का वक़ार कायम रखने के लिए,
ज़िंदगी में कभी-कभी बेबुनियाद, बेज़मीन ज़ज़्बात को परवाज़ देना पड़ता है.
और वहाँ झूठे आईनों से बचने के लिए धुंधलकों की ज़रुरत पड़ती है.
ऐसे भी, मोहब्बत और सिगरेट दोनों आखिर कुचल ही दिए जाते हैं:
एक पिलाने वाले से; तो दूसरा खुद पीने वाले से.
lovely lines !!
ReplyDeleteThank you for the appreciation!
ReplyDeleteI've never read poems in hindi, bt i guess nw i will
ReplyDeleteGreat! And I assure you you won't regret. :-)
ReplyDeletewaah Bala sahab kya khub likha hai,
ReplyDeletepremika aur cigarette ka bahut khubsurat chitran kiya hai....
Ha..ha! Thank you. Bas, aise hi dil ke bhavon ko rakhna tha. Socha Spandan hi sahi.
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