The following picture of the boy Vipin Soni in Mumbai crying over the death of his brother forced me to express my anguish in the following lines:
है चुनौती, कोई इसके अश्रु पोछे ;
अब न भौंके कूटनीतिक वाक्य ओछे.
जल रही दुनिया, जला संसार इसका,
डूबे सपने, उजड़ा है परिवार इसका
मिट चुका इंसान से विश्वास इसका.
देखे इसकी आँख से यह देश कोई;
ढूँढ़े बढ़ते भारत का अवशेष कोई;
फिर दे हमको सहन का निर्देश कोई.
फटा सीना नहीं जो अब भी तुम्हारा,
समझ जाओ, हृदय गोबर हो चुका है;
अपनी आँखें आँसू पी कर थक चुकी हैं,
पानी कब का सर से ऊपर हो चुका है.
नायकों इस देश के, कुछ शर्म पालो;
हृदय में कुछ हया, कुछ तो दर्द डालो;
चुल्लू भर पानी में खुद को मार डालो.
है चुनौती, कोई इसके अश्रु पोछे ;

जल रही दुनिया, जला संसार इसका,
डूबे सपने, उजड़ा है परिवार इसका
मिट चुका इंसान से विश्वास इसका.
देखे इसकी आँख से यह देश कोई;
ढूँढ़े बढ़ते भारत का अवशेष कोई;
फिर दे हमको सहन का निर्देश कोई.
फटा सीना नहीं जो अब भी तुम्हारा,
समझ जाओ, हृदय गोबर हो चुका है;
अपनी आँखें आँसू पी कर थक चुकी हैं,
पानी कब का सर से ऊपर हो चुका है.
नायकों इस देश के, कुछ शर्म पालो;
हृदय में कुछ हया, कुछ तो दर्द डालो;
चुल्लू भर पानी में खुद को मार डालो.